लॉरेल्स इंटरनेशनल स्कूल के बच्चों की यादगार यात्रा
अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें – “Mission Shakti: The Strength Behind Smiles”
रिपोर्ट: आदित्य शुक्ला, लॉरेल्स इंटरनेशनल स्कूल
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पिछले हफ्ते, 15 अक्टूबर को, हमारे स्कूल का नो बैग डे था। उस दिन हम सब—क्लास 6 से लेकर 12 तक के करीब सत्तर बच्चे—एक बहुत ही खास जगह गए। जगह का नाम था मिशन शक्ति महिला प्रेरणा संकुल, भीटा (जसरा ब्लॉक)।
सच बताऊं तो हम सबको शुरुआत में लगा कि शायद ये कोई आम सा स्कूल विज़िट होगा। लेकिन जैसे ही हम वहां पहुंचे और उन महिलाओं से मिले, तो लगा कि ये तो कुछ बहुत बड़ा देखने को मिलने वाला है।
महिलाओं की अपनी दुनिया
वहां की महिलाएं मिशन शक्ति योजना से जुड़ी हैं — ये सरकार की एक पहल है जिससे गांव की महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हो सकें। वो सब मिलकर छोटी-छोटी समितियां बनाती हैं, जिन्हें महिला समितियां कहते हैं। इनमें हर कोई थोड़ा-थोड़ा पैसा जोड़ता है, और फिर सरकार उन्हें बिना गारंटी वाला लोन, ट्रेनिंग और बाकी मदद देती है।
हमें पता चला कि सिर्फ जसरा ब्लॉक में ही करीब 3,000 महिलाएं 36 समितियों में काम कर रही हैं, और अब तक 20 करोड़ रुपए से ज़्यादा का कारोबार कर चुकी हैं! सुनकर हम सबकी आंखें खुली की खुली रह गईं।

बेकरी की खुशबू और आत्मविश्वास की कहानी
हमारी विज़िट का सबसे मज़ेदार हिस्सा था बेकरी यूनिट देखना। वहां की महिलाएं बड़े गर्व से हमें दिखा रही थीं कि कैसे वो पिज़्ज़ा बेस, ब्रेड, बिस्किट, नमकीन और स्नैक्स बनाती हैं। पूरा सेटअप साफ-सुथरा, मशीनें मॉडर्न, और काम एकदम प्रोफेशनल।
जब उन्होंने हमें बताया कि लखनऊ और दूसरे शहरों से एक्सपर्ट लोग आकर उन्हें ट्रेनिंग देते हैं, तो हमें बहुत अच्छा लगा। और हां — उन्होंने हमें मार्केटिंग, मुनाफा कैसे बांटते हैं, और फिर उसे दोबारा निवेश कैसे करते हैं — ये सब इतनी समझदारी से बताया कि लगा जैसे हम किसी बिज़नेस मीटिंग में बैठे हैं!
गांव से कॉरपोरेट तक
सबसे दिलचस्प बात ये थी कि उनकी समितियां किसी बड़ी कंपनी की तरह काम करती हैं। वो अपनी कमाई का 2% हिस्सा CSR यानी कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी में लगाती हैं — आसपास के स्कूलों में मदद, सफाई अभियान और महिलाओं के लिए जागरूकता प्रोग्राम।
हमें ये देखकर सच में लगा कि गांव की महिलाएं अब किसी पर निर्भर नहीं हैं — वो खुद अपने लिए मौके बना रही हैं।
नेता जो मिसाल बन गईं
वहां की पूरी टीम की गाइड हैं नमिता सिंह मैडम, जो जसरा ब्लॉक की मिशन शक्ति प्रतिनिधि हैं। उन्होंने इतनी आत्मीयता से हमसे बातें कीं कि लगा जैसे किसी अपने से मिल रहे हों। उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने महिलाओं को जोड़कर ये बड़ा काम शुरू किया, और अब सब मिलकर आगे बढ़ रही हैं।
इसके अलावा हर्षिका सिंह, IAS (मुख्य विकास अधिकारी, प्रयागराज) और सुनील कुमार सिंह (BDO, जसरा) भी लगातार महिलाओं का हौसला बढ़ा रहे हैं।

वो पल जब गर्व महसूस हुआ
जब हम उन महिलाओं से बात कर रहे थे, तो हमें सच में गर्व महसूस हुआ कि हमारा देश अब सिर्फ सेवाएं देने वाला नहीं, बल्कि चीजें बनाने वाला देश बन रहा है। ये सब हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया के सपने को साकार कर रहा है।
स्कूल लौटकर हमने अपनी असेंबली में सबको बताया कि हमने क्या देखा और क्या सीखा। स्टूडेंट काउंसिल की मीटिंग में हमने सुझाव दिया कि स्कूल भीटा समिति से बने स्नैक्स और प्रोडक्ट्स खरीदे — और स्कूल के फंक्शन या PTM में इनके स्टॉल लगाए जाएं।
सोचिए, इससे महिलाओं की कमाई भी बढ़ेगी और हमें घर बैठे देसी, सस्ते और शुद्ध प्रोडक्ट्स मिलेंगे — जैसे बेकरी आइटम्स, कपड़े, साबुन, अगरबत्ती, बैग वगैरह।
दिल छू लेने वाली सीख

इस यात्रा ने हमें सिखाया कि जब शिक्षा और आत्मविश्वास साथ हों, तो कोई भी बदलाव नामुमकिन नहीं है।
अब हमें अपने स्कूल का विज़न समझ में आया —
“हर लॉरेल्स स्टूडेंट एक उद्यमी बनेगा, नौकरी ढूंढने वाला नहीं, नौकरी देने वाला।”
हम अपनी प्रिंसिपल मृदुला प्रकाश मैम के बहुत आभारी हैं, जिन्होंने हमें ये अनुभव दिया। और साथ ही धन्यवाद उन सभी महिलाओं को, जिन्होंने हमें खुले दिल से अपनाया।
हम लौटे तो सिर्फ खुश नहीं थे — हमें अपने देश पर गर्व था।
गांव की मिट्टी में ही असली भारत बसता है, और ये महिलाएं उस मिट्टी से सोना बना रही हैं।
जय हो मिशन शक्ति — सशक्त भारत की सच्ची तस्वीर!